Saturday 31 March 2018

दिल से दिल तक का सफ़र

ये उन दिनों की बात हैं जब गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड नही होते थे न ही फेसबुक, ओरकुट या दूसरी सोशल साइट्स, न मोबाइल | होते थे या तो अच्छे दोस्त और घर पर लैंडलाइन
१९९०, मार्च सुबह ७:४५ का टाइम था, शारदा एक स्कूल के गेट पर खड़ी होकर लगातार रोये जा रही थी |
आज से उसकी १०वीं की परीक्षा शुरू होने वाली थी, एग्जाम सेंटर घर से दूर था इसलिए पापा ने खुद छोड़ने के बजाय उसको ऑटो से भेजने का फैसला लिया |
आज सुबह एक ऑटो वाले से बात करके उसे स्कूल का पता बताकर शारदा को उसमे बैठा दिया और आते वक्त भी ऑटो से आ जाना ये समझा दिया |
ऑटो वाले भैया उसे लेकर पहुंच गए वहाँ, लेकिन आज पहला पेपर था तो वो बहुत जल्दी पहुँच गये थे इसलिए वहां कोई था नही और ऑटो वाले भैया को भी अपनी दूसरी सवारी को छोड़ने जाना था इसलिए वो उसे वही छोड़कर चले गए |
७:३० बजे जब सब एग्जाम हॉल के बाहर अपना रोल नंबर देख रहे थे उसने देखा उस नोटिस बोर्ड पर उसका रोल नंबर हैं ही नही | वो घबराते हुए प्रिन्सिपल सर के केबिन में गई और सर को बताया |
सर ने उसका एडमिट कार्ड देखा और बताया कि वो गलती से इस सेंटर पर आ गई है वो स्कूल की दूसरी ब्रांच हैं जो यहा से २-३ किमी दूर हैं|
ये सुनते ही शारदा के तो होश ही उड़ गये की अब वो वहां कैसे पहुंचेगी इतने कम समय में और इस अंजान जगह पर कोई उसकी मदद भी नही करेगा, उसके सारे दोस्त एग्जाम हॉल में पहुच चुके हैं |
यहाँ खड़े रहना भी कोई सलूशन था नही इसलिए वो रोते हुए स्कूल के गेट पर आ गई और रोते रोते ये ही सोच रही थी कि क्या करे, इतने में उसने देखा दो लोग स्कूल गेट पर बात कर रहे थे | एक सर शायद किसी को कह रहे थे इस बच्ची को ले जाओ अपने साथ और उसे एग्जाम सेंटर पर छोड़ आओ वो लड़का शायद उनका स्टूडेंट था और उस वक़्त वहाँ से अपनी साइकिल से गुजर रहा था | उसने हाँ में सिर हिला दिया और सर को थैंक्यू कहा और उस लड़के की साइकिल के पीछे बैठ गई और वो चल दिए एग्जाम सेंटर की और |
करीब ८:१० बजे वो लोग एग्जाम सेंटर पर थे, जैसे ही लड़के ने अपनी साइकिल रोकी शारदा कूदकर अन्दर की तरफ भागी क्यूंकि वो लेट हो चुकी थी और इसी चक्कर में उसने उस लड़के को थैंक्यू तक नही कहा |
शारदा ने उस दिन का पेपर दिया और शाम को घर जाकर सारी कहानी बताई इसलिए दुसरे दिन से तो पापा ने एग्जाम वाले दिन अपने ऑफिस से छुटटी लेने का विचार कर लिया | उसने बाकि सारे पेपर अच्छे से दिए और अच्छे मार्क्स से पास भी हुई |
फिर ११वीं में बायो विषय लिया क्यूंकि मम्मी पापा भैया तीनो का सपना हैं की हमारे घर में एक डॉक्टर हो |
भैया ने तो १२वीं पास करके प्रायवेट कॉलेज से फॉर्म भरकर पढ़ाई शुरू कर दी और पार्ट टाइम जॉब करते थे |
इसलिए सब चाहते थे की शारदा खूब पड़े और एक अच्छी डॉक्टर बने | इसलिए ११वी में बायो सब्जेक्ट लेकर उसने सपनो के पौधे को पानी तो देना शुरू कर दिया था |
११९२, फरवरी सुबह के ७ बजे शारदा तैयार थी अपनी १२वी की एग्जाम का पहला पेपर देने जाने के लिए, मम्मी भैया को चिल्ला रही थी कितनी देर कर दी तू अभी भी तैयार नही हुआ वो लेट हो जाएगी जल्दी कर और भैया हमेशा की तरह हाँ बस हो गया चलो चलो |
भैया ने जल्दी से अपनी बाइक स्टार्ट की और पहुचा दिया अपनी बहना को उसकी मंजिल पर | भैया को बाय करके वो एग्जाम सेंटर के बाहर खडी अपने दोस्तों का इंतजार कर रही थी, तभी उसकी नज़र एक लड़के पर गई जो शायद अपनी बहन को छोड़ने आया हुआ था, क्या ये वो ही लड़का हैं जिसने मुझे उस दिन मेरे एग्जाम सेंटर तक छोड़ा था और मै ने उसे थैंक्यू तक नही कहा वो ही हैं क्या ये |
वो ये सोच ही रही थी कि इतने में लड़का वहाँ से निकल गया और उसके दोस्त भी आ गये तो वो बात वही भूल कर एग्जाम हॉल की तरफ चल दिए |
फिर पुरे एग्जाम टाइम में उसका ये ही रूटीन रहा लेकिन आखरी दिन जब वो एग्जाम देकर बाहर खडी थी अपने भैया का इंतजार करते, दोस्तो के चले जाने के बाद तभी वो लड़का भी आया अपनी बहन को लेने तभी उन दोनों की आंखे मिली शायद वो लड़का उसे पहचान गया था इसलिए वो उसे देखकर मुस्कुरा दिया शारदा कुछ कहती या करती उतने में उसके भैया आ गये और इसलिए उस लड़के को एक बार देख आंखे नीची कर ली और अपने भैया की बाइक पर बैठ कर चली गई |
घर आकर उस रात वो ये ही सोच रही थी यार ये वो ही लड़का था, कम से कम मुझे उसे थैंक्यू तो कहना चाहिए था आखिर उस दिन उसने मेरी मदद न की होती तो में वो एग्जाम कैसे देती और तो और उसने आखरी दिन तो मुस्कुरा कर अपनी पहचान भी दी, तू भी न शारदा बुद्धु हैं पूरी |
चलो अगर किस्मत ने फिर मौका दिया तो वो उसे थैंक्यू कह देगी |
अपने आपसे ये वादा करके वो सो गई |
वैसे तो परीक्षा ख़त्म हो गई थी लेकिन १२वी की, अभी तो उसे प्री मेडिकल टेस्ट पास करना था जिससे उसे किसी अछे मेडिकल कॉल्लेज में एडमिशन मिल जाये |
इसलिए वो सब बाते भूल कर फिर अपनी पढाई में जुट गई उसकी मेहनत रंग भी लाई और सिटी के सबसे अच्छे मेडिकल कॉल्लेज में उसे एडमिशन मिल गया और 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद वो एक डॉक्टर बन भी गई |
जब वो अपनी इंटर्नशिप कर रही थी, तब एक दिन हॉस्पिटल में उसकी नाईट शिफ्ट थी उसी दिन एक छोटा एक्सीडेंट का केस आया था जिसमे मरीज को बाइक से गिर जाने के कारन सिर में चोट आ गई थी और वो बेहोश था जिसका चेक अप का काम शारदा को सौपा गया था जब वो वार्ड में गई और मरीज के पेपर देखे लड़के का नाम नही था, शायद पता नही था कौन हैं, जिसने एक्सीडेंट किया था वो ही लेकर आया था उसे |
उसने देखा उसे और उसकी आंखे मुस्कुरा उठी हे भगवान! ये तो वो ही हैं मेरा हीरो, नही मतलब मेरी मदद करने वाला | मगर जनाब तो बेहोश हैं अब इनका शुक्रिया कैसे किया जाये, चलो कल सुबह तो होश में आयेगे तब कह दूँगी (खुद से बाते करते हुए उसने बेसिक चेकअप कर लिया ) |
सुबह होश नही आया उसे , तो उसने सोचा चलो घर जाकर रेडी होकर आती हूँ तब तक तो जनाब उठ ही जाएगे खुश होते हुए वो घर की तरफ निकली |
आज वो बहुत खुश थी जिस पल का वो इतने वक़्त से इंतज़ार कर रही थी आखिर वो आ ही गया |
वो घर आई और फटाफट तैयार हुई और होस्पिटल के लिए निकल पड़ी , मम्मी बोली क्या हैं ये अभी आई और फिर चली जरा देर भी आराम नही, मम्मी के पास आकर मुस्कराई और बोली मम्मी में अभी आती हूँ | और वो ये कहकर बाहर निकल गई |
एक उत्साह के साथ हॉस्पिटल में एंटर हुई, फिर वार्ड में घुसते ही बोली – हेल्लो मेरा नाम शारदा हैं अपने नही पहचाना, लेकिन ये क्या कहाँ गया वो ?
वो दोड़ते हुए रिसेपसन पर पहुंची वार्ड नंबर ५ का मरीज कहाँ हैं |
उसे होश आया और वो रुका नही चला गया |
ओह, अच्छा उसने बिल भरा होगा उसका नाम बताओगे डाटाबेस में देखकर
हाँ! लाल बहादुर शास्त्री ये ही नाम लिखवाया हैं उसने |
लाल बहादुर शास्त्री ?
ये कैसा नाम हैं, पर कोई बात नही बंदा तो प्यारा हैं | सोचकर फिर मुस्कुरा दी शारदा |
तो मिस्टर लाल बहादुर शास्त्री, आप फिर हाथ से निकल गये |
पता नही किस्मत दोबारा अब कब मिलाएगी ?
बड़े उदास मन से शारदा घर लौट आई, मम्मी पास आई और बोली क्या हुआ बेटा ?
गई थी तब तो बहुत खुश थी और आई तो मुह उतरा हुआ सा |
मम्मी मैंने आपको बताया था न उस लड़के के बारे में जिसने १०वीं की एग्जाम में छोड़ा था एग्जाम सेंटर पर
आज हॉस्पिटल में मिला था लेकिन बेहोश था इसलिए उसे थैंक्यू नही बोल पाई और जब आज सुबह गई तो वो चला गया मैं उसे थैंक्यू भी नही बोल पाई |
इतना कहकर उसने मम्मी की गोद में सिर रख दिया, मम्मी ने उसके सिर पर हाथ फिराया और बोली कोई बात नही बेटा दिल से तो तू उसे थैंक्यू बोल ही चुकी हैं फिर क्यू इतना सोचना |
मम्मी मैंने उसे दिल से थैंक्यू नही दिया बल्कि दिल ही दे दिया हैं मन में ये लाइन बोल उसने मम्मी की गोद से सिर उठाया और मुस्कुराकर हाँ में गर्दन हिला दी |
इसी तरह वक़्त गुजर रहा था,
रोज सुबह उठना रेडी होना चौराहे से बस लेना हॉस्पिटल वाले स्टॉप पर उतरना शाम को उसी स्टॉप से बस लेना घर के चौराहे पर उतरना |
घर पहुचकर मम्मी से बाते करना और दिन भर की बाते सुनना आज उनका फ़ोन आया था ये रिश्ता बता रहे थे वो रिश्ता बता रहे थे और शारदा मुस्कुराकर बात टाल जाती |
फिर रात को कमरे में जाती और उसे याद करती कहां हो जनाब आप मिस्टर लाल बहादुर शास्त्री ?
ऐसा न हो जब आप मिले तब तक मेरी डोली उठ जाए ऐसी ही कई बाते सोचते सोचते सो जाना ये ही था उसका डेली रूटीन |
एक दिन जब ऑफिस से घर आई तो मम्मी ने बताया दूर की बुआजी ने एक रिश्ता बताया हैं लड़का बहोत अच्छा हैं मनन, घर में ४ ही लोग हैं मम्मी पापा एक बहन और मनन |
इसी सिटी में हैं किसी प्रतिष्ठ कंपनी में मैनेजर हैं, तेरे पापा भैया को भी बहुत अच्छा लगा हैं घर परिवार |मनन की फोटो भी भेजी हैं उन लोगो ने |
मम्मी फोटो लाने के लिए उठी तो शारदा ने रोक लिया रुको मम्मी
मम्मी ने आगे कहना शुरू किया - वो लोग आ रहे हैं इस रविवार तुझे देखने |
मेरी डालो अब दुल्हन बनकर चली जाएगी कहते कहते मम्मी की आंखे भर आई
मम्मी.........................
आप तो अभी से रोने लगे चलो उनको फ़ोन करके मना कर देते हैं कि हमे नही करनी शादी हमे तो मम्मी पापा भैया के पास साथ ही रहना हैं |
मम्मी हस्ते हुए और आँखे पोछती हुई बोली चल पगली ऐसा थोड़े ही होता हैं शादी तो हर लड़की को करनी होती हैं |
चल बेटा उस दिन हॉस्पिटल से छुट्टी ले लेना और अच्छे से तैयार होना की देखते ही लगे की क्या नसीब हैं उनके बेटे का भी |
शारदा ने थोडा सा मुस्कुराया और हाँ में सिर हिला दिया |
फिर कमरे में जाकर दरवाजा बंद करके बिस्तर पर धड से गिर पड़ी और सिसकिया ले लेकर रोने लगी
कहाँ हैं आप मिस्टर लाल बहादुर शास्त्री ?
अब मैं
और इंतज़ार नही कर पाऊँगी और अपने इस सपने के लिए घर वालो का सपना भी नही तोड़ सकती |
अब अगर आप न मिल पाए तो मैं क्या करू? क्या बताऊ मैं किससे प्यार करती हूँ ? कौन हैं आप ? कहाँ रहते हैं ? क्या करते हैं ? मैं तो ये तक नही जानती की आप शादीशुदा हैं या कुंवारे ?
बतायिए जनाब क्या करूं? क्या आप सच मैं मेरे हीरो बनकर बस सपनो में रह जाओगे क्या |
प्लीज जल्दी आ जाओं, प्लीज अगर आप भी मुझसे प्यार करते हैं तो सजन कोई तो करो जतन जिससे जल्दी हो मिलन |
रविवार सुबह ११ बजे मनन की फॅमिली और बुआजी शारदा के घर पर थे |
शारदा नीले रंग की साड़ी पहन हाथ में ट्रे लेकर हॉल में आई
मनन की मम्मी बोली बेटा यहाँ आओ हमारे पास बैठो
उन्हें वो बहूत पसंद आई मनन की बहन ने तो अभी से उसे भाभी बोलना शुरू कर दिया भाभी आप पर ये नीला रंग बहुत अच्छा लग रहा हैं |
शारदा ने उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया और धीरे से थैंक्यू बोला |
जी मननजी नही आए ? शारदा के पापा ने पूछा |
मनन की फॅमिली में से कोई बोलता उसके पहले ही बुआजी बोली अरे कल नाईट में ही कंपनी की तरफ से उसे बाहर जाना पड़ गया |
हमने सोचा हम मिल लेते हैं हमारी होने वाली बहु से फिर बच्चे तो बाद में मिल लेगे मनन के पापा ने उत्तर दिया । और भाई साहब हमारा मनन हमारी पसंद को मना नही करेगा वैसे सच बताये तो हमे तो बच्ची फोटो में ही पसंद अ गई थी | वो तो मुलाकात करनी ही थी इसलिए आ गये वरना तो फोटो से ही रिश्ता पक्का कर देते |
बात तो आपकी सही हैं लेकिन एक बार बच्चे भी मिल लेते तो रिश्ता पक्का करने में कोई दिक्कत नही थी |
तो ठीक हैं अगले हफ्ते बच्चो को मिला देते हैं और रिश्ता भी पक्का कर लेगे सगाई शादी की तारीख भी निकाल लेगे |
बातचीत और अगले हफ्ते आने की बात तय कर वो लोग घर चले गए |
उनके जाने के बाद मम्मी पापा आपस में बात कर रहे थे, हम बहुत ही भाग्यशाली है जो अपनी बिटिया के लिए इतना अच्छा घर परिवार मिला | आज के समय जब सब लड़के वाले दहेज़ के नाम पर लड़की के घर वालो की सारी जमा पूंजी खत्म करवाकर भी खुश नही होते वही ये लोग हैं जो बस हमारी बेटी को अपनी बेटी बनाकर ले जाना चाहते हैं |
उनकी ऐसी बात सुनकर शारदा ने सोचा शायद किस्मत को ये ही मंजूर हैं और अपने मन को शादी के लिए मनाने लगी |
उधर मनन के घर पर भी सब खुश थे ये सोचकर कि इतनी अच्छी लड़की उनके घर की बहु बन रही हैं |
मनन की बहन भाई के कमरे में गई और बोली भैया भाभी बहुत अच्छी हैं , ये देखो फोटो |
मनन ने उसके हाथ से फोटो लिया और बिस्तर पर रख दिया और अपनी बहन के सिर पर एक प्यार से थपकी देकर बोला छुटकी भाभी तो तेरी अच्छी हैं लेकिन वो ये नही कोई और हैं |
कोई और ? कौन ? वो आश्यर्चचकित होकर मनन की तरफ देखने लगी , फिर थोडा रुक कर फिर बोली और आपने ये बात मम्मी पापा को क्यू नही बताई ?
अरे छुटकी वो मेरे सपनो में हैं जिस दिन मिलेगी लाकर खड़ा कर दूंगा मम्मी पापा के सामने की ये बहु हैं आपकी तब तक देखने दो उन्हें लड़कियां |
फिर मनन वापस बिस्तर की तरफ मुड़ा वो फोटो जो देखा भी नही उठाया और वापस छुटकी को दे दिया और बोला ये फोटो ले जाकर मम्मी को दे देना और कह देना देख ली मेने फोटो |
छुटकी बोली दे तो दूंगी लेकिन अगले हफ्ते आपकी शादी की तारीख निकलने वाली हैं
मनन ने कहा अच्छा तो मतलब मेरे पास सिर्फ एक हफ्ते शेष हैं अपनी सपनो की रानी ढूँढने के लिए |
जी हाँ –छुटकी मुह बनाते हुए बोली और रूम के बाहर चली गई |
मनन मन ही मन में बोला कहा हो मैडम जल्दी मिल जाओ वरना तुम्हरी सौतन आ जाएगी फिर मत कहना की बताया नही पहले |
दुसरे दिन जब मनन अपनी बाइक से जा रहा था उसने अपनी सपनो की रानी को देखा मगर जब तक वो उस तक पहुंचता वो बस में बैठकर निकल गई |
मनन मन ही मन खुश था की चलो ये तो पता चल गया शायद वो यही से बस पकड़ती हैं |
दुसरे दिन वो सुबह से ही वहाँ जाकर खड़ा हो गया एक बस आई दूसरी बस आई इस तरह दिन भर बस आती गई बस उसके सपनो की रानी नही आई मगर उसने हार नही मानी |
दुसरे दिन फिर वो वहाँ गया उस दिन भी बस आई और चली गई लेकिन वो नही आई |
फिर आखरी में तिसरे दिन शाम के वक़्त वो आई जैसे ही वो बस में चढ़ने वाली थी मनन ने उसे रोका बोलना शुरू किया – हेल्लो मिस प्लीज २ मिनट रुकिए
मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ पिछले ३ दिनों से अपना ऑफिस छोड़कर यहाँ आकर बैठा हूँ क्युकि मैने ३ दिन पहले आपको इसी बस स्टॉप से बस में चढ़ते देखा था |
शारदा ने उसे देखा फिर दूसरी तरफ मुहं फेर लिया और रोड की तरफ देखते हुए बोली -आपकी बातो से आप शरीफ घर के लड़के लगते हो, इस तरह किसी लड़की को बिच रास्ते में रोक कर बदनाम करना अच्छी बात नही हैं और रही आपके प्यार की तो मेरे पास उसका कोई जवाब नही, ये सब बिना मतलब की बाते हैं मेरे लिए क्युकि मेरी शादी होने वाली हैं बहुत जल्द ही, इतना कहकर वो फिर बस आने का इंतजार करने लगी |
मनन ने फिर एक कोशिश कि ठीक हैं मेरी किस्मत | मिस हम दोस्त तो बन सकते हैं प्लीज अपना नाम तो बता दीजिए |
शारदा ने फिर उसकी तरफ देखा और बोली नही मैं आपको अपना नाम भी नही बता सकती क्यूंकि में आपसे दोस्ती नही कर सकती क्यूंकि मुझे आपकी भावनाए पता हैं मुझे हमेशा लगेगा कि आपके मन में मेरी दोस्त कि नही बल्कि प्रेमिका की छवि हैं और वो जानते हुए भी आपसे दोस्ती रखूं तो वो मेरी मेरे पति के साथ बेवफाई होगी |
इसलिए हम अजनबी थे और अजनबी ही रहे तो ये हम दोनों के अपने साथी से रिश्ते के लिए बेहतर होगा |
इतने में उसकी बस आ गई वो उस में चढ़ गई और मनन उसे जाते हुए देखते रह गया |
बस में अपनी सिट पर बैठकर शारदा बोली मुझे माफ़ करना मेरे हीरो मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ लेकिन अपने प्यार के लिए अपने घर वालो का दिल नही दुखा सकती वो मेरी शादी को लेकर बहुत खुश हैं |अब में उन्हें आपके बारे में बताकर दुखी नही कर सकती | हमारी किस्मत में ही था की बस हम यूँ ही मिले और इतना ही मिले |
उधर मनन भी दुखी मन से घर आ गया जब मम्मी ने पूछा की आज इतनी जल्दी घर कैसे आ गया तो उसने तबियत ख़राब का बहाना बना दिया और कमरे में जाकर लेट गया |
मम्मी कमरे में आई अपने बेटे के सिर पर हाथ फेरकर बोली बेटा इस बार चलेगा न तू लड़की देखने | बहुत प्यारी हैं शारदा एक नज़र में दिल में उतर जाती हैं | तू भी एक बार मिल ले तो शादी की तारीख निकाल ले |
मनन ने कहा ठीक हैं ।
थोडा सोना हैं मम्मी बोल कर मम्मी को बाहर जाने का बोल दिया | मम्मी के जाने के बाद मनन सोचने लगा
काश तुम ही मेरी जीवनसाथी बनती तो लाइफ कितनी अच्छी होती |
मुझे माफ़ कर देना मेरी सपनो की रानी मैं बेवफा हु प्यार तुमसे करता हूँ क्या हुआ जो तुम नही करती मुझे तुम्हारा इंतजार करना चाहिए था लेकिन मैं किसी और को अपनी दुल्हन बनाकर इस घर में ला रहा हूँ में बेवफा हूँ | लेकिन मैं क्या करू अपने प्यार के लिए घर के लोगो को सजा कैसे दूँ कैसे कह दूँ उनसे की मैं शादी नही कर सकता क्यूंकि मैं  उससे प्यार करता हूँ जो कभी मेरी हो नही सकती |मुझे माफ़ कर दो मैं अपने प्यार की सजा अपने परिवार को नही दे सकता मुझे बेवफा का इल्जाम कबूल हैं |
बाहर से दौडती हुए छुटकी आई  और बोली भैया मम्मी बोल रहे है आप चल रहे हो हमारी पसंद की हुई भाभी को देखने |
हाँ (बुझी सी आवाज़ में मनन ने कहा)
फिर आपकी सपनो की रानी ?
वो सपनो में रह गई चल तू ज्यादा मत सोच अपनी भाभी लाने की तैयारी कर (मनन ने बात खत्म करनी चाही)
छुटकी ख़ुशी से झूमती हुई बाहर निकल गई |
रविवार को सुबह मनन की पूरी फॅमिली और मनन शारदा के घर थे दोनों फॅमिली बहुत खुश थी इस रिश्ते से सिर्फ दो लोग दुखी थे एक शारदा और दूसरा मनन|
मनन बड़े बेमन से गर्दन निचे करके बैठा था तभी शारदा चाय नाश्ते की ट्रे लेकर बाहर आई उसने टेबल पर ट्रे रखी और अपनी मम्मी के पास आकार बैठ गई |
घर वालो ने कहा बच्चो आप भी थोड़ी बातचीत कर लो |
जैसे ही दोनों ने नही इसकी कोई जरुरत नही हैं बोलने के लिए गर्दन ऊपर की और उनकी आंखे मिली फिर तो बस वो पल देखने का था | वो दोनों एक दुसरे को ऐसे देखते रहे जैसे उनके आसपास कोई और हैं ही नही और बस वो यूँ ही एक दुसरे की आँखों में देखते रहे जिंदगी भर |
तभी छुटकी बोली देखा भैया मैं ने कहा था न भाभी आपकी सपनो की रानी से भी सुन्दर हैं |
मनन ने मुस्कुराकर कहा हाँ सपनो से तो ज्यादा सुन्दर हैं ये |
शारदा ने शर्मा के सिर झुका लिया |
तभी मनन की मम्मी बोली बेटा अपको भी कुछ पुछना हो तो पूछ लो |
शारदा बोली मैं बस एक बात पूंछना चाहती थी आपने हॉस्पिटल में अपना नाम लाल बहादुर शास्त्री क्यू लिखवाया ?
मनन ने कहा वो मेरा ओरिजिनल नाम हैं और बाकि सब लोग मुझे प्यार से मनन के नाम से ही बुलाते हैं |
शारदा की मम्मी बोली – अच्छा तो वो दामादजी ही थे जो उस दिन अपनी साइकिल पर बैठा कर एग्जाम सेंटर पर ले गये थे |
उधर से मनन की मम्मी भी बोली अच्छा तो तूने शारदा को ही छोड़ा था उस दिन एग्जाम सेंटर पर
मनन और शारदा दोनों एक साथ एक दुसरे की तरफ देखते हुए बोले – हाँ हाँ
और पुरा हॉल हंसी से गूंज उठा |

1 comments:

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